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एन.आई.सी. के बारे में

 

सूचना प्राद्यौगिकी आई०टी० को मुख्य प्राद्यौगिकी भी माना जाता है और यह देश के सम्पूर्ण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। आई०टी० को विस्तृत आर्थिक योजना, निर्णय लेने, जन प्रशासन शिक्षा, स्वास्थ्य निर्माण, वित्त और बैंक, यातायात, कामर्स, प्रकाशन, ऊर्जा संरक्षण तथा पर्यावरण प्रबंध में उपयोग में लाया जाता है। भारत आई०टी० क्षेत्रा में अपने कुशल मानव संसाधन बल पर अग्रणी भूमिका निभा रहा है। हि०प्र० भी इस क्षेत्र में पीछे नहीं है। एक अलग आई०टी० विंग बनाया गया है हि०प्र० में जोकि राज्य की आई०टी० सम्बधि आवशयकताओं को देखता है। आई०टी० पार्क, आई० टी०विश्वविद्यालय गठित किए गए हैं जोकि राज्य में आई०टी० संस्कृति को बढ़ावा देते हैं। ई०-गर्वनेंस की शुरूआत मुख्य भूमिका निभाती है। आई०टी० को आमजन के लिए संगत बनाने में ई० गर्वनेंस एक संस्कृति है जोकि बदलती रहती है जैसे- नागरिक सरकार से जुड़ते हैं। यह आवश्यकताओं तथा उत्तरदायित्वों को पुनः परिभाषित करती रहती है। यद्यपि कम्प्यूटरीकरण जिसे एन०आई०सी० ने सफलतापूर्वक विभिन्न जिलों में विभिन्न क्षेत्रों में शुरू किया, ने फलदायक परिणाम दिए हैं, इसमें अगला तार्किक कदम ई० गर्वनेंस द्वारा आई० टी० आधारित नागरिक सेवाएं जिला स्तर पर प्रदान करना है।

राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र

एन०आई०सी० एक मुख्य सूचना प्राद्यौगिकी संगठन है जोकि, इलैक्ट्रोनिक्स और सूचना प्राद्यौगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन है। आई०टी० संस्कृति को सभी सरकारी विभागों में फैलने के लिए तथा स्वतः संचालन को बढ़ावा देने के लिए एन०आई०सी० ने जिला स्तर पर पूरे भारत में कार्यालय खोले हैं। जिला प्रशासन की जरूरतों को पूरा करने के लिए और विभिन्न विभागों में कम्प्यूटर संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए जिला बिलासपुर में आई०टी० क्रांन्ति शुरू हुई। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र यूनिट की सन् 1988 में स्थापना में बाद, तब से लेकर यह इकाई विभिन्न ई० गर्वनेंस प्रोजैक्ट को लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।